लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव 2022 को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई है। सरकार की ओर से हाईकोर्ट को जवाब पेश कर दिया गया है। ओबीसी आरक्षण को लेकर यूपी की सरकार ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान 10 बड़ी दलीलें रखी गईं। हालांकि मामले पर कोई फैसला नहीं दिया गया। रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई की है। वहीं राज्य के राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के अलावा निकाय चुनाव के लाखों दावेदारों और समर्थकों की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं।
कल भी होगी मामले पर बहस
बता दें कि यूपी के योगी सरकार के अपर महाधिवक्ता विनोद शाही की तरफ से निकाय चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं पर सरकार ने हाईकोर्ट को अपना जवाब पेश किया है। प्राप्त जानकारी के दौरान सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त करते हुए कहा है कि ओबीसी आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का निकाय चुनाव में पूरी तरह से पालन किया गया है। इसके अलावा संविधान में किए गए प्रावधान के साथ सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से समय-समय पर दिए गए आदेशों का पालन भी किया गया है। दाखिल जवाब में कहा गया कि लागू आरक्षण व्यवस्था निकाय चुनाव में किसी भी पक्ष का अहित नहीं होगा। वहीं आज यानि कि मंगलवार को हाईकोर्ट में सरकार और याचिकाकर्ताओं के वकीलों के बीच बहस की गई।
सरकार ने कोर्ट में दाखिल किया जवाब
वहीं दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में अगली तारीख कल यानी 21 दिसम्बर की अगली तारीख दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि कल यानि कि बुधवार को इस मामले पर अदालत का फैसला आ सकता है। कोर्ट ने आज की सुनवाई में सरकार द्वारा दाखिल जवाब और याचिकाकर्ता के प्रतिउत्तर को सुना है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि बीते 5 दिसंबर को जारी अधिसूचना के तहत 20 दिसंबर तक अंतिम आरक्षण की अधिसूचना जारी न करें। बता दें कि दायर याचिकाओं के पक्षकारों को उपलब्ध कराए गए जवाबी हलफनामे में सरकार ने कहा है कि वर्ष 2017 में हुए ओबीसी आरक्षण के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। ऐसे में यदि फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आता है तो अप्रैल-मई 2023 तक चुनाव टल सकते हैं।