वाराणसी: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य बीते शनिवार को वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि रामचरितमानस धर्म के नाम पर व्यवहारिक जीवन में प्रचलित है। इसका रोज पाठ किया जाता है। मौर्य ने बताया कि उन्होंने पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेजा है। पत्र में निवेदन किया गया है कि महिलाओं, आदिवासियों, पिछड़ों व अनुसूचित जाति का अपमान करने वाले शब्दों को संसोधित या प्रतिबंधित किया जाए। मौर्य ने कहा कि तुलसीदास द्वारा रचित मानस को धार्मिक नहीं कहा जा सकता है।
कन्हैया राजभर के घर पहुंचे थे मौर्य
मौर्य ने आगे कहा कि जिस प्रकार से तमाम लोगों ने पुस्तक लिखी है, ठीक उसी प्रकार से मानस भी एक काव्य है। इसलिए रामचरितमानस को धर्मग्रंथ कहकर अपमानित करने की व्यवस्था और गाली को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से धर्म का असल मायने कल्याण और मानवता के सशक्तीकरण के लिए होता है। वहीं किसी को अपमानित करना किसी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता है। बता दें कि सपा नेता मौर्य लखनऊ से सड़क मार्ग से बाबतपुर पहुंचे। इस दौरान वह हरपुर हरसोस स्थित पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल के प्रतिनिधि रहे कन्हैया राजभर के घर पहुंचे।
मौर्य के काफिले पर फेंकी गई काली स्याही
जिसके बाद मौर्य ने पहाड़िया के एक होटल में रात्रि विश्राम किया। वहीं रविवार को सुबह साढ़े 9 बजे स्वामी प्रसाद मौर्य सोनभद्र के लिए रवाना हो गए। इस दौरान सपा नेता का स्वागत करने के लिए निवर्तमान जिलाध्यक्ष सुजीत यादव, निवर्तमान महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, एमएलसी आशुतोष सिन्हा, पूर्व विधायक उदय लाल मौर्या आदि मौके पर मौजूद रहे। बता दें कि सोनभद्र जाते समय रामनगर के टेंगरा मोड़ पर बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले को काले झंडे दिखाए गए। वहीं मौर्य की गाड़ी पर काली स्याही फेंककर जय श्री राम और हर-हर महादेव के नारे लगाए गए।