मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के टीपीनगर इलाके में 31 दिसंबर की रात एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत हो गई। उद्यमी आलोक बंसल के घर में नेपाली नौकर चंदर अपनी पत्नी राधा और 4 साल की बेटी अंजली के साथ रहता था। चंदर चाऊमाला कैलाली नेपाल का निवासी थी। बताया गया है कि चंदर 31 दिसंबर की रात कमरे में अंगीठी जलाकर परिवार सहित सोया था। जब 1 जनवरी को नौकर का परिवार दोपहर तक बाहर नहीं आया तो घर के मालिक आलोक बंसल उसके कमरे में गए। वहां पर देखा कि कमरा अंदर से बंद था। हलचल नहीं होने पर जब दरवाजा तोड़ा गया तो चंदर अपनी पत्नी सहित मृत पड़ा था और पूरे कमरे में धुंआ भरा हुआ था। वहीं चंदर की बेटी अंजलि बेहोश पड़ी थी। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई।
बच्ची ने भी तोड़ा दम
मौके पर पहुंची पुलिस बच्ची को इलाज के लिए केएमसी अस्पताल लेकर गई। लेकिन बच्ची ने अस्पताल में भर्ती होते ही दम तोड़ दिया। जिसके बाद पुलिस ने तीनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची अंजलि के शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण उसकी मौत हो गई। वहीं पुलिस ने मृतक के परिवार को मामले की सूचना दी। आलोक बंसल ने पुलिस को बताया कि वह 31 दिसंबर को घर से बाहर थे। वहीं उनके बेटे और घरवालों ने दोस्तों के साथ मिलकर लेट नाइट तक न्यू ईयर पार्टी का सेलिब्रेशन किया। इस चंदर और उसकी पत्नी राधा खाना बनाने में व्यस्त थे। पार्टी खत्म होने के बाद बोनफायर में जली हुई लकड़ियां, कोयला तसले में रखकर चंदर ऊपर छत पर अपने कमरे में ले गया।
जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर
बताया जा रहा है कि चंदर जिस कमरे में रहता है उसमें कहीं भी वेंटिलेटर नहीं था। ठंड से बचने के लिए बोनफायर की बची लकड़ी, कोयला अपने कमरे में लाकर रख लिया औऱ दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। इस दौरान कमरे में रात भर धुंआ भरता रहा। जिससे ऑक्सीजन लो हो गई और कार्बन का लेवल बढ़ने से चंदर औऱ उसकी पत्नी राधा की मौत हो गई। वहीं अस्पताल में उनकी बेटी की भी मौत हो गई। 31 दिसंबर को बच्ची का बर्थडे भी था। जिसे देर रात तक परिवार ने सेलिब्रेट किया था। डॉक्टर ने बताया कि रातभर रूम हीटर चलाकर या अंगीठी, आग जलाकर सोते हैं तो यह सीधे तौर पर जान के लिए खतरा है। छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन त्यागी ने बताया कि बंद कमरे में कोयला जलाने से वातावरण में कार्बन मोनोआक्साइड की मात्र बढ़ जाती है। ब्रेन पर इसका असर होने के कारण खून में हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाता है। जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।