लखनऊ: समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार को मैनपुरी उपचुनाव में शानदार जीत मिलने और चाचा शिवपाल सिंह का साथ मिलने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के हौसले बुलंदी पर है। बता दें कि लोकसभा चुनाव तक भाजपा के खिलाफ समाजवादी पार्टी आक्रामक रुख अपनाएगी। बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव ने अपने कूल तेवर को छोड़ कर नए तेवर अपना लिए हैं। अखिलेश यादव ने अभी से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जोश फूंकने का काम शुरू कर दिया। वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जनता के मुद्दे उठाकर सरकार के खिलाप सड़कों पर भी उतर चुकी है।
अभी से शुरू की लोकसभा चुनाव की तैयारियां
वहीं इसके अलावा पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न पर भी उनके साथ मजबूती से खड़ी होती दिखाई दी है। सपा लोकसभा चुनाव तक यह जोश यूं ही बनाए रखना चाहती है। जिसके लिए समाजवादी पार्टी ने तय किया है कि वह लोकसभा चुनाव तक भाजपा के खिलाफ अक्रामक रवैया अपनाएगी। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश अब खुद भी प्रदेश कार्यालय की जगह फील्ड में ज्यादा दिखाई देंगे। इसकी शुरुआत अखिलेश ने अभी से कर दी है। पहले अखिलेश यादव पर आरोप लगाए जाते थे कि वह ऑफिस में बैठकर इंटरनेट मीडिया की राजनीति करते हैं। अब अपनी इस छवि को सुधारने के लिए वह लगातार जिलों में जा रहे हैं।
पुरानी छवि को तोड़ने में जुटे अखिलेश
बता दें कि इसके अलावा अखिलेश यादव उस छवि को भी तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जिसमें उनके लिए कहा जाता रहा है कि वह नेताजी मुलायम सिंह यादव की तरह कार्यकर्ताओं को उतना महत्व नहीं देते हैं। अखिलेश यादव इस रणनीती के तहत और अपने कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न के मामले में उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। बीते रविवार को जब सपा मीडिया सेल के संचालक मनीष जगन अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था तो सपा अध्यक्ष डीजीपी मुख्यालय पहुंच गए थे। इसके बाद वह लखनऊ की जिला जेल भी गए थे। पार्टी इसके जरिए जनता को साफ संदेश देना चाहती है कि प्रदेश में केवल सपा ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है।