यूपी विधानसभा में 58 साल बाद लगी अदालत, विशेषाधिकार हनन मामले में सीओ समेत 5 पुलिसकर्मी दोषी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को 6 पुलिसकर्मियों को पेश किया जाएगा। बता दें कि इन पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना में पेश किया जा रहा है। 17 साल पहले साल 2004 में इन पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया जा चुका है। जिसके बाद आज यानि की शुक्रवार को इन्हें सजा सुनाई जा सकती है। इससे पहले यूपी विधानसभा में साल 1964 में कटघरे में सुनवाई की गई थी। साल 2004 में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सपा सरकार में बिजली कटौती के विरोध में कानपुर में धरने पर बैठे थे। इस दौरान अन्य बीजेपी के विधायक और कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था।

सुनाई जा सकती है सजा
इस दौरान तत्कालीन विधानसभा सदस्य सलिल विश्नोई का पैर टूट गया था। वह कई महीनों तक बिस्तर पर पड़े रहे थे। जिसके बाद 25 अक्टूबर 2004 को विधानसभा सत्र में विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना रखी गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2004 से मई 2005 तक छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में सुनवाई हुई थी। सुनवाई पूरा होने के बाद सभी पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था। लेकिन तब सजा नहीं सुनाई गई थी। वहीं विधानसभा सत्र के 11वें दिन इन पुलिसकर्मियों की सजा पर फैसला किया जा सकता है।

सीओ समेत 5 पुलिसकर्मी हुए पेश
विधानसभा अध्यक्ष ने सतीश महाना ने मामले में DGP और मुख सचिव गृह को पूर्व सीईओ कानपुर के साथ अन्य 5 पुलिसकर्मियों को पेश किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की ओर से सदन में विशेषाधिकार का प्रस्ताव रखा था। जिसे सर्वसम्मति से सदन की मंजूरी मिल गई है। इस मामले में सीओ अब्दुल समद के अलावा किदवई नगर के थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, एसआई थाना कोतवाली त्रिलोकी सिंह, किदवई नगर थाने के सिपाही छोटे सिंह यादव, काकादेव थाने के सिपाही विनोद मिश्र और काकादेव थाने के सिपाही मेहरबान सिंह शामिल हैं।

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