लखीमपुर खीरी: लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। इसके साथ ही 4 लोगों की पीट-पीटकर मार देने वाले आरोपी किसानों को भी जमानत दे दी है। वहीं आशीष मिश्रा के अधिवक्ता ने जिला अदालत में तीन-तीन लाख रुपये के बेल बांड दाखिल किए है। इनका सत्यापन होने के बाद 27 जनवरी यानि की आज आशीष को जेल से रिहाई मिल सकती है। लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपी आशीष को 8 हफ्ते के लिए रिहा किया जा रहा है।
आंदोलनकारी किसानों पर चढ़ाई थी गाड़ी
बता दें कि शर्तों का उल्लंघन करने पर आशीष मिश्रा की जमानत रद्द हो सकती है। रिहाई मिलने के बाद आशीष को 1 सप्ताह के अंदर यूपी छोड़ना होगा और वह दिल्ली में भी नहीं रह सकते हैं। 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में आंदोलनकारी किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाए जाने की घटना हुई थी। इस घटना के बाद नाराज किसानों द्वारा पिटाई किए जाने से कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले का मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्रा उर्फ मोनू है। 10 फरवरी, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था।
14 मार्च को होगी आदेश की समीक्षा
जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को शर्तों के साथ रिहाई का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट 14 मार्च को फिर मामले पर सुनवाई करेगा। 14 मार्च को आज दिए गए आदेश कि समीक्षा की जाएगी। आशीष मिश्रा के वकील की तरफ से दलील दी गई थी कि वह 1 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है। वहीं आशीष के घटना में शामिल होने का कोई ठोस सबूत नहीं है। लखीमपुर खीरी की निचली अदालत के जज ने सुप्रीम कोर्ट को भेजी रिपोर्ट में बताया था कि केस का निपटारा होने में 5 साल तक का समय लग सकता है। आशीष को जमानत का संकेत देते हुए कोर्ट ने कहा था कि मुकदमा खत्म होने तक किसी को भी जेल में नहीं रखा जा सकता।
8 हफ्ते की अंतरिम जमानत
वहीं आशीष को जमानत दिए जाने किसान की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कड़ा विरोध किया था। दुष्यंत दवे का कहना था कि आशीष एक प्रभावशाली परिवार से आते हैं। जमानत मिलने पर वह मुकदमे को प्रभावित कर सकते हैं। जस्टिस सूर्य कांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता हर नागरिक का अधिकार होता है। मुकदमा लंबित होने के काऱण किसी को जेल में रखना उचित नहीं है। वहीं शिकायतकर्ता की ओर जताई गई आशंकाओं को सही मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 8 हफ्ते की अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई हैं।