Banke bihari Corridor: विरोध हुआ तेज, खून से लिखा सीएम योगी को पत्र कहा- कुंज गलियों को न उजाड़ें

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। बता दें कि रविवार से बंद हुआ बाजार सोमवार को भी बंद रहा। वहीं बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र के बाजार बंद होने से इलाके में सन्नाटा पसरा रहा। साथ ही स्थानीय लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है। प्रस्तावित बांके बिहारी जी कॉरिडोर को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के कारण बाजार बंद हैं। बांके बिहारी मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर मौजूद दुकानें बंद हैं। बाजार बंद होने के कारण यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है। ठाकुरजी के मंदिर के आसपास लगभग 300 दुकाने हैं।

श्रद्धालुओं को नहीं मिल रहा प्रसाद
बता दें कि मथुरा-वृंदावन आने वाले अधिकतर श्रद्धालुओं की दो ही इच्छा होती है। जिनमें पहली अपने आराध्य के दर्शन करने और दूसरा यहां की फेमस लस्सी पीने की। प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर चल रहे विरोध के कारण श्रद्धालु आराध्य के दर्शन तो कर रहे हैं। लेकिन आराध्य को अर्पित करने के लिए श्रद्धालुओं को प्रसाद नहीं मिल पा रहा है। दिल्ली से दर्शन करने आए एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्हें प्रसाद चढ़ाना था। लेकिन दुकानें बंद होने के कारण वह प्रसाद नहीं ले पाए। साथ ही दर्शन के लिए आ रहे श्रद्धालुओं को प्रसिद्ध लस्सी का स्वाद भी चखने को नहीं मिल रहा है। बता दें कि स्थानीय लोगों ने कॉरिडोर के विरोध में विद्यापीठ चौराहा के समीप सड़क पर बैठकर प्रदर्शन किया।

मौके पर पहुंचे रालोद नेता योगेश द्विवेदी
वहीं प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों ने कुंज बिहारी श्री हरिदास का कीर्तन किया। इसके अलावा प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पीएम मोदी औऱ सीएम योगी से बृज को बचाने की गुहार लगाई है। लोगों का कहना है कि जब कुंज की गलियों की जगह पर कॉरिडोर बना दिया जाएगा तो फिर इस नगरी की पहचान ही क्या रह जाएगी। विरोध प्रदर्शन कर रहे 108 लोगों ने अपने खून से धरना स्थल पर पीएम मोदी औऱ सीएम योगी के नाम संबोधित पत्र लिखा। पत्र में पीएम और सीएम से बृज को बचाने की गुहार लगाई गई है। कॉरिडोर का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों के समर्थन में रालोद नेता योगेश द्विवेदी भी मौके पर पहुंचे। रालोद नेता ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल की तऱफ से यहां नहीं पहुंचे हैं। बल्कि वह तो यहां बृजवासी होने के नाते आए हैं।

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