श्रीकृष्ण जन्मस्थान: शाही ईदगाह का 2 जनवरी के बाद होगा अमीन सर्वे, कोर्ट ने मानचित्र सहित आख्या पेश करने का दिया आदेश

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास बनी ईदगाह की ज्ञानवापी की तर्ज पर 2 जनवरी को अमीन रिपोर्ट की प्रक्रिया प्रारंभ होने जा रही है। 1 जनवरी तक कोर्ट में अवकाश होने के कारण यह प्रक्रिया 2 जनवरी को शुरू की जाएगी। वादी के अधिवक्ता शैलेश दुबे ने बताया कि अदालत के आदेश पर अमीन रिपोर्ट की प्रक्रिया में विवादित स्थल का मानचित्र तैयार कर अदालत को अपनी आख्या सौंपी जाएगी। कोर्ट में अमीन को 20 जनवरी से पहले अपनी आख्या सौंपनी है। इसके बाद 20 जनवरी को सिविल जज सीनियर डिवीजन की न्यायाधीश सोनिका वर्मा मामले पर सुनवाई करेंगी। बीते 8 दिसंबर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव निवासी बेहरमपुर फाजिलपुर गुरुग्राम हरियाणा बाल श्रीकृष्ण विराजमान ठाकुर केशवदेव का भक्त बनकर सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय के कोर्ट में वाद दाखिल किया था।

ईदगाह के सचिव ने लगाया गंभीर आरोप
जिसके बाद कोर्ट में यह केस वाद संख्या 839 पर दर्ज किया। वर्ष 1967 में हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और इंतजामिया कमेटी ईदगाह के बीत हुए समझौते की एक प्रति भी अधिवक्ता ने कोर्ट में दाखिल किया था। वादी के अधिवक्ता शैलेष दुबे ने कोर्ट से विवादित स्थल ईदगाह की अमीन रिपोर्ट मंगाए जाने की अपील की थी। इसके बाद कोर्ट ने केस के विवादित स्थल से अमीन की आख्या रिपोर्ट मय मानचित्र के पेश करने का आदेश दिया। वादी विष्णु गुप्ता ने बताया वह कोर्ट के इस फैसले से काफी खुश हैं। वहीं ईदगाह की पैराकारी कर रहे सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने कहा कि वह इस आदेश को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि अदालत ने उनका पक्ष सुने बिना ही फैसला सुना दिया। वहीं अधिवक्ता शैलेष दुबे ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की पूरी जमीन 15.25 एकड़ थी। उन्होंने कहा कि इसका खसरा संख्या 825 है।

कई तरह के विवाद आए सामने
अधिवक्ता शैलेष दुबे ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने 1892 में वृंदावन के लिए रेल लाइन निकाली। जमीन के मालिक होने के कारण राजा पटनीमल के परिजनों को इसका मुआवजा दिया गया। जिसके बाद यह जमीन 13.37 एकड़ रह गई। ईदगाह द्वारा वर्ष 1928 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान क्षेत्र में जो मलवा पड़ा उसे उसे मस्जिद के रखरखाव में प्रयोग किया गया था। राजा पटनीमल के परिजन रायकिशन दास ने इसका विरोध मथुरा मुंसिफ की अदालत में किया। जिसके बाद अगस्त 1929 राय किशन दास के पक्ष में कोर्ट ने स्थगनादेश जारी किया था। मुस्लिम पक्ष ने 1955 में इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसे हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद महामना मदन मोहन मालवीय 1944 में इसे खरीद कर 1951 में श्री कृष्णजन्म भूमि ट्रस्ट तैयार किया। इसकी देखरेख के लिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ तैयार किया गया। जिसके बाद कई तरह के विवाद सामने आए थे।

ईदगाह के सचिव ने बोली बड़ी बात
इनमें से एक विवाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान की जमीन पर मौजूद मुस्लिम बस्ती का भी था। 1964 में संघ के सचिव भगवान दास भार्गव ने संघ के सचिव भगवान दास भार्गव ने एक मुकदमा मुंसिफ मथुरा की अदालत में किया। यह मामला परिवर्तन के साथ साल 1967 में दर्ज हुआ। जिसके बाद उपमंत्री देवधर शास्त्री द्वारा 1968 में एक समझौता किया गया। इस समझौते में अन्य मामलों और मुस्लिम बस्ती को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। लेकिन समझौते में मालिकाना हक को लेकर कोई भी बात नहीं की गई थी। अधिवक्ता शैलेष दुबे ने कहा कि जमीन के संबंध में संघ के पदाधिकारी को समझौता करने का कोई अधिकार नहीं था। इसलिए यह समझौता गलत था। वहीं
ईदगाह के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने कहा कि वह पहले से इस जमीन पर है। उनके पास मालिकाना हक संबंधी पर्याप्त सबूत भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *