कानपुर: यूपी के कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के दौरान 13 फरवरी को मड़ौली गांव में महिला प्रमिला और 18 साल की बेटी नेहा की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इसके बाद से प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। मामले की जांच के लिए गठित SIT ने जांच के दौरान गवाही के लिए 10 साल पहले मर चुके व्यक्ति के नाम का नोटिस जारी किया है। वहीं मृतक प्रमिला के बेटे शिवम ने SIT की जांच को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। शिवम ने कहा कि मुर्दों के बयान भी इस मामले में लिए जा रहे हैं।
39 लोगों पर दर्ज हुआ था केस
शिवम ने कहा कि पहले इस मामले की जांच होनी चाहिए। 10 साल पहले जिस व्यक्ति की मौत हो चुकी है। उसके साइन किसने किए और मृतक के नाम नोटिस कैसे जारी हो गया। मड़ौली कांड में पीड़ित परिवार ने लेखपाल, SDM और थाना प्रभारी समेत 39 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं मुकदमा दर्ज होने के बाद लेखपाल और JCB चालक को गिरफ्तार कर लिया गया था। मामले पर SIT के गठन के बाद 1 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन अभी जांच जारी है। इस मामले में गवाही के लिए गांव के कुछ लोगों को SIT ने नोटिस जारी कर बुलाया गया था। वहीं मृतका के परिवार ने पूरी जांच टीम पर सवाल उठाए हैं।
पुलिस ने मृतक के लिए साइन
वहीं SIT की ओर से जारी लेटर में पुलिस ने इस बात का जिक्र किया था कि परिवार के लोगों को मकान गिराने के लिए 14 जनवरी का नोटिस दिया गया था। इस नोटिस पर पुलिस ने गांव के कुछ लोगों के साइन भी लिए थे। वहीं पुलिस ने इस नोटिस में मृतक राम नारायण दीक्षित के भी साइन दिखाए थे। जिसके बाद उन्हें भी बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा गया था। शिवम ने इसी मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि लेखपाल, SDM और पुलिस ने मरे हुए व्यक्ति के हस्ताक्षर कैसे ले लिए। मृतका के बेटे ने कहा कि उन्हें इस जांच पर भरोसा नहीं है।