मेरठ: जिंदगी ने इतना दर्द दिया, लेकिन फिर भी जीने की हिम्मत नहीं छोड़ी। पहले पति को खोया और फिर उसके बाद 24 साल के इकलौते बेटे की मौत। बुरे वक्त ने तोड़कर रख दिया। जीना नहीं चाहती थी मगर सूनी आंखों के सामने दो पोती और एक पोते का चेहरा घूमता रहता है। मन ही मन खुद को हिम्मत दी कि बेटा न सही पर उसकी निशानी के तौर पर उसके बच्चे तो हैं। मासूम बच्चों को हंसता देख पति और बेटा जहां भी होंगे, खुश होंगे। रोजी-रोटी चलाने के लिए सड़क पर कबाड़ बीन-बीनकर एक-एक पैसा जमा किया। जमा किए हुए पैसों से अब रिक्शा ले लिया। जिस पर अब वह सामान को ढोती है।
पति की मौत के बाद परिवार ने फेरा मुंह
यह कहानी तेज रफ्तार में माल वाहक रिक्शा दौड़ाने वाली रजवन निवासी आशिया की है। आशिया में माल वाहक रिक्शा चलाने की ताकत मासूमों की हंसती आंखों को देखकर आती है। आशिया ने बताया कि जब वह गर्भवती थीं तो उनके पति की मौत हो गई थी। उस दौरान परिवार के अन्य सदस्यों ने समझाते हुए रोटी खिलाने का वायदा किया। लेकिन कुछ दिन बाद सब लोगों ने मुंह फेर लिया। तभी उन्होंने बेटे ग्यासी को जन्म दिया। अब न तो कोई रोटी खिलाने वाला था और न ही पास में पैसे थे। तब आशिया ने मजबूरन सड़क पर कूड़ा बीनने का काम शुरू कर दिया। जब शरीर जवाब देने लगा तो कबाड़ी की दुकान पर काम करने लगी। वहीं बेटे के बड़े होने पर वह मजदूरी कर मां का हाथ बंटाने लगा।
बच्चों के चेहरे की मुस्कान से आती है ताकत
आशिया ने बेटे की शादी कर दी। जिससे 2 पोती और 1 पोता हुआ। आशिया को लगने लगा कि अब खुशियों ने दस्तक दी है। आगे की जिंदगी आराम से कटेगी। लेकिन किस्मत को यह मंजूर नहीं था। अचानक जवान बेटे की मौत ने आशिया को तोड़कर रख दिया। वहीं कुछ दिन बाद बेटे की पत्नी भी बच्चों को छोड़कर चली गई। एक बार फिर आशिया की जिंदगी में अंधेरा छा गया। आशिया ने बताया कि वह जीना नहीं चाहती थी, लेकिन मासूम बच्चों के लिए उसे जीना पड़ रहा है। एक बार फिर आशिया ने कबाड़ की दुकान पर काम करके माल वाहक रिक्शा लिया। आशिया ने बताया कि माल वाहक रिक्शे से रोजाना 300-400 रुपए की कमाई हो जाती है। वहीं शाम होते ही वह जल्दी घर चली जाती है। क्योंकि तीनों बच्चे अभी छोटे हैं।