मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में उत्तर भारत के विशालतम दक्षिण शैली का सबसे बड़ा रंगनाथ मन्दिर स्थित है। सोमवार को बैकुंठ एकादशी के मौके पर बैकुंठ द्वार खोला गया। बता दें कि यह द्वार साल में एक बार खुलता है। भगवान ने बैकुंठ द्वार पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। मान्यता है कि बैकुंठ द्वार से निकलने पर भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। भगवान रंगनाथ की मंगला आरती की गई। इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ माता गोदा के साथ मधुर ध्वनि के मध्य निज मन्दिर से पालकी में विराजमान हो कर बैकुंठ द्वार पहुंचे। भगवान रंगनाथ की पालकी यहां करीब आधे घंटे तक द्वार पर खड़ी रही।
रात से ही मंदिर में एकत्र होने लगे श्रद्धालु
मंदिर के महंत गोवर्धन रंगाचार्य के नेतृत्व में भगवान रंगनाथ की सवारी बैकुंठ द्वार पर पहुंचने पर सेवायत पुजारियों ने पाठ किया। जिसके बाद भगवान रंगनाथ, शठ कोप स्वामी,नाथ मुनि स्वामी और आलवर संतों की कुंभ आरती की गई। पूजा-अर्चना के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मन्दिर प्रांगण में भ्रमण करते हुए पौंडानाथ मन्दिर यानी कि बैकुंठ लोक में विराजमान हुई। इसके बाद वहां पर लोगों ने भगवान के सामने भजन गाए। बता दें कि हजारों भक्त बैकुंठ द्वार से निकलने की चाहत में रात से ही मन्दिर परिसर में एकत्रित होना शुरू हो गए थे।
द्वार से निकलने पर मिलता है ऐसा फल
मन्दिर के पुजारी स्वामी राजू के अनुसार, 21 दिवसीय बैकुंठ उत्सव के 11वें दिन बैकुंठ द्वार को बैकुंठ एकादशी पर्व पर खोला जाता है। यह एकादशी साल की श्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है। मन्दिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्री निवासन के मुताबिक अलवार आचार्य अपनी रचित गाथाएं बैकुंठ उत्सव के दौरान भगवान को सुनाते हैं। दक्षिण के सभी वैष्णव मंदिरों को बैकुंठ एकादशी के दिन बैकुंठ द्वार ब्रह्म मुहूर्त में खुलता है। वृंदावन स्थित रंगनाथ मन्दिर में भी इसी परंपरा का निर्वहन किया जाता है। बता दें कि साल में एक बार खुलने वाले बैकुंठ द्वार को बेहद आकर्षक तरीके से सजाया गया। बैकुंठ एकादशी के मौके पर श्रद्धालु भगवान रंगनाथ के दर्शन कर आनंदित हो उठे।