अयोध्या: सोने के सिंहासन पर विराजेंगे रामलला, दिसंबर 2023 में बन जाएगा मंदिर का गर्भगृह, 3 फीट ऊंची होगी बालस्वरूप मूर्ति

अयोध्या: उत्तर प्रदेश के जिले अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। बता दें कि 3 फेज में मंदिर का काम होना है। वहीं दिसंबर 2023 में पहले फेज का काम पूरा हो जाएगा। वहीं जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के दिन इसी गर्भगृह में रामलला विराजमान होंगे। गर्भगृह में भगवान का आसन सोने का होगा। इसके अलावा मंदिर का शिखर भी सोने का ही हो सकता है। महाराष्ट्र के एक बिजनेसमैन ने स्वर्ण जड़ित शिखर को दान करने के लिए जन्मभूमि ट्रस्ट से अनुरोध किया है। हालांकि ट्रस्ट ने इस पर अभी तक कोई सहमति नहीं दी है। राम मंदिर निर्माण के अलावा अयोध्या में राम पथ, भक्ति पथ, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, राम की पैड़ी समेत 50 से ज्यादा डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

केंद्र सरकार ने खींचा खाका
अयोध्या का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने के लिए केंद्र सरकार खाका खींच चुकी है। राम जन्मभूमि के ट्रस्ट के सदस्य और अयोध्या के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्र ने बताया कि भगवान राम की बाल स्वरूप मूर्ति अभी काफी छोटी है। गर्भगृह में विराजमान होने के बाद भक्त उनका सही से दर्शन कर सके। इसके लिए बाल स्वरूप की बड़ी मूर्ति भी बनाई जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा के बाद गर्भगृह में ही स्थापित किया जाएगा। बताया जा रहा है कि मूर्ति 2.5 से 3 फीट ऊंची हो सकती है। जिसके लिए देश के बड़े मूर्तिकारों को स्केच बनाने के लिए कहा गया है। बता दें कि पद्मश्री और पद्म विभूषण से सम्मानित आर्टिस्ट भी शामिल हैं। विमलेंद्र प्रताप मिश्र ने बताया कि मूर्ति संगमरमर की होगी। राजस्थान में पत्थर की दो शिलाएं भी खरीद ली गई हैं। गर्भगृह का दरवाजा सागौन की लकड़ी से बनाया जाएगा। उसके लिए लकड़ी महाराष्ट्र से आएगी।

दिसंबर 2023 में तैयार होगा ग्राउंड फ्लोर
वहीं कर्नाटक से लाए ग्रेनाइट के पत्थरों का गर्भगृह में इस्तेमाल किया जा रहा है। राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर दिसंबर 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा। ग्राउंड फ्लोर पर गर्भगृह समेत 5 मंडप भी होंगे। इनके नाम गुड़ी मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप, कीर्तन मंडप होंगे। वहीं मंदिर में प्रवेश के लिए सिंह द्वार का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा। मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय होगा। बताया गया कि इसमें बीचों बीच पीछे की ओर भगवान रामलला के विराजने का आसान होगा। मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है। इसी शैली में उत्तर भारत में प्राचीन काल के मंदिर बने हुए हैं। इसके अलावा मंदिर के गर्भगृह में भगवान के बाल स्वरूप की एक बड़ी मूर्ति भी स्थापित की जाएगी। जिससे कि श्रद्धालुओं को दूर से भी भगवान के दर्शन हो सकें।

बाल स्वरूप में बनेगी बड़ी मूर्ति
बताया गया कि कोशिश की जा रही है कि बड़ी मूर्ति भी बाल स्वरूप कोमल दिखने वाली हो और भगवान कमल पर विराजें। डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि 2024 में मंदिर के दूसरे फ्लोर का काम शुरू हो जाएगा। दूसरे फ्लोर पर भगवान राम का दरबार होगा। वहीं मंदिर में तीसरा फ्लोर भी बनेगा। लेकिन इस फ्लोर में भक्तों की एंट्री नहीं होगी। मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा होगा। भगवान राम का रामनवमी के दिन सूर्य तिलक से अभिषेक होगा। सूर्य की किरण सीधे भगवान के ऊपर कैसे आएगी, इसके लिए IIT रुड़की के प्रोफेसर काम कर रहे हैं। साथ ही गर्भगृह के चारों ओर 14 फीट चौड़ा परिक्रमा कॉरिडोर भी होगा। वहीं मंदिर से 25 से 27 मीटर की दूरी पर परकोटे का निर्माण किया जाएगा। जिसमें दक्षिण पूर्व की दिशा में विष्णु पंचायतन मंदिर, उत्तर पूर्व में दुर्गा जी का मंदिर, ईशान कोण पर गणेश जी का, अग्नि कोण पर शंकर भगवान, उत्तर दिशा में अन्नपूर्णा माता और गर्भगृह के दक्षिण ओर हनुमान जी का मंदिर होगा।

नए साल पर रामलाल पहनेंगे ऐसे वस्त्र
डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि बहुत तेजी से मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है। 350 मजदूर और कारीगर दिन-रात जन्मभूमि पर काम कर रहे हैं। राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि भगवान राम को नए साल के पहले दिन गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करेंगे। इसके बाद उन्हें विशेष भोग चढ़ाया जाएगा। इस भोग में पूड़ी, हलवा, खीर, सब्जी, फल और पंच मेवा होगा। इत्र से भगवान का अभिषेक किया जाएगा। देश और दुनिया में अमन-शांति की प्रार्थना और पूजा की जाएगी। उन्होंने कहा कि पूजा के दौरान यह कामना हमेशा की जाती है। वहीं नए साल के मौके पर इसका विशेष महत्व होता है।

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