मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को 190 साल हो गए हैं। वहीं नया साल इस विवाद के निपटारे को लेकर नई उम्मीदें लाया है। बता दें कि जनवरी में कई मामलों की सुनवाई होनी है। वहीं शाही ईदगाह का अमीन सर्वे और आपत्ति 2 जनवरी से शुरू किया जाएगा। जिसकी रिपोर्ट 20 जनवरी को कोर्ट में सौंपी जानी है। इस मामले पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के प्रबंध समिति सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी और संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी विजय बहादुर सिंह ने बताया कि 1832 से 1968 के बीच 9 केस कोर्ट में चले।
हिंदू पक्ष ने जीते सभी केस
इन सभी केसों को हिंदू पक्ष ने जीता है। उनका कहना है कि मंदिर से मस्जिद की ओर दरवाजा और हिंदू प्रतीक चिन्ह भी मौजूद हैं। वहीं हिंदू पक्ष की दलील पर शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव और वकील तनवीर अहमद ने बताया कि जैसे ही 2 जनवरी को कोर्ट खुलेगी, वह अमीन सर्वे के खिलाफ स्टे ऑर्डर लेंगे। उन्होंने कहा कि ईदगाह में कोई हिंदू प्रतीक चिह्न नहीं। शाही ईदगाह ईरानी-मुगल कला से बनी है। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के 30 साल से अध्यक्ष डॉ. जहीर हसन ने बताया कि ईदगाह और मस्जिद 300 साल से ज्यादा पुरानी है। यहां हमेशा और लगातार नमाज होती रहती है।
70 प्रतिशत लोग मुस्लिम
उन्होंने कहा कि अगर इस मसले का बातचीत से हल निकलता तो कोर्ट के बाहर समझौता किया जा सकता है। वहीं डॉ. जहीर हसन ने कहा कि स्वेच्छा से श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की जमीन छोड़ने की मांग पर समाज की राय और मुस्लिम युवाओं में आक्रोश भी देखने को मिलता है। बता दें कि मथुरा-वृंदावन के करीब 50 हजार कारीगरों में से 70% लोग मुस्लिम हैं। यह लोग श्रीकृष्ण की पोशाक, मुकुट, बांसुरी और शृंगार के काम से जुड़े हुए हैं। वहीं हिंदू पक्ष के वकील व वादी महेंद्र प्रताप सिंह और मुस्लिम पक्ष के वकील तनवीर कानूनी दांव-पेंच में लगे हुए हैं।