कानपुर अग्निकांड: मां-बेटी के अंतिम संस्कार के बाद भी पुलिस के सामने पहेली बने ये सवाल

कानपुर: यूपी के कानपुर देहात के मड़ौली गांव में सरकारी जमीन से कब्जा हटाने के दौरान मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। लेकिन पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के बीच यह सवाल अब तक पहेली बना हुआ है कि आखिर बुलडोजर चालक को झोपड़ी गिराने का आदेश किसने दिया था। बता दें कि स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रशासनिक अफसर के एक खास कर्मचारी ने यह आदेश दिया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि मामले की जांच में जिम्मेदार सामने आ जाएगा। बता दें कि कृष्ण गोपाल की सरकारी जमीन पर बनी झोपड़ी और अन्य कब्जे हटाने के लिए बीते सोमवार को सस्पेंड SDM ज्ञानेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में राजस्व व पुलिस की टीम गई थी।

अफसरों के सामने जिंदा जलीं मां-बेटी
प्राप्त जानकारी के अनुसार, टीम के टारगेट पर सरकारी जमीन पर बनी कृष्ण गोपाल की झोपड़ी को गिराना था। लेकिन जिस जगह पर झोपड़ी बनी थी, वहां पर बुलडोजर के पहुंचने का रास्ता नहीं था। इसलिए अफसरों ने पहले हैंडपंप और फिर धार्मिक चबूतरा तुड़वा दिया। इसके बाद SDM के आदेश पर पीड़ित परिवार के कुछ लोग झोपड़ी से सामान निकाल रहे थे। इस दौरान गैस चूल्हा, सिलिंडर और कुछ अन्य सामान निकला था। वहीं अपने आशियाने को उजड़ता देख कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला और बेटी नेहा झोपड़ी के अंदर चली गईं। पत्नी और बेटी द्वारा दरवाजा बंद करने पर अनहोनी की आशंका से टीम के लोग भी उनके पीछे दौड़े।

DM के प्रति लोगों में दिखी नाराजगी
वहीं मां-बेटी को बाहर निकालने की कवायद के दौरान प्रशासनिक अफसर के खास सरकारी कर्मचारी ने बुलडोजर चालक को झोपड़ी गिराने का आदेश दे दिया। इसी दौरान कुछ और लोगों ने भी चिल्लाकर कहा कि झोपड़ी गिरा दो। इसके बाद बुलडोजर चालक द्वारा झोपड़ी गिराए जाने के दौरान भीतर आग लग गई। देखते ही देखते अफसरों के सामने मां-बेटी जिंदा जल गईं। ऐसे में यह सवाल भी खड़ा होता है कि SDM को सरकारी जमीन से कृष्ण गोपाल दीक्षित का कब्जा हटाने की इतनी जल्दी क्यों थी। वहीं पत्नी और बेटी की मौत के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने DM के प्रति नाराजगी दिखाई है।

गांव में तैनात पुलिस और पीएसी के जवान
पीड़ित परिवार का आरोप है कि वह अपनी फरियाद लेकर DM और SP के पास गए थे। लेकिन किसी ने उनकी फरियाद को नहीं सुना। वहीं SP ने उन्हें डांटकर भगा दिया था। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिना किसी नोटिस के अफसर कब्जा हटाने पहुंचे थे। वहीं डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग पर हुई बातचीत के बाद नाराज परिजन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए। जिसके बाद बिठर घाट पर मां-बेटी का अंतिम संस्कार किया गया। वहीं गांव में हर तरफ पुलिस और पीएसी के जवान गश्त करते दिखाई दिए।

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