शंकराचार्य परिषद ने स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस के बयान पर जताई नाराजगी, कहा- दर्ज हो राजद्रोह का केस

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजनीतिक दलों के अलावा सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का साधु-संतों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। वहीं शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने भी मौर्य के इस बयान की निंदा की है। उन्होंने मांग की है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया जाए। स्वामी आनंद स्वरूप ने आरोप लगाते हुए कहा कि रामचरितमानस के कुछ छंदो का का उपयोग कर सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा दिया है।

सस्ती लोकप्रिया के पाने का हथकंडा
शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष ने इसे सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा बताते हुए कहा कि मौर्य ने एक विशेष वर्ग के वोटों को हासिल करने के लिए रामचरितमानस पर ऐसी टिप्पणी की है। बता दें कि ओबीसी नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को हिंदू धार्मिक पाठ रामचरितमानस पर टिप्पणी करते हुए कहा था इसके कुछ छंद जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का “अपमानित” करते हैं। जिस कारण इस पर बैन लगाया जाना चाहिए। जिसके बाद वह कई लोगों के निशाने पर आ गए हैं।

मौर्य पर की कार्रवाई की मांग
स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि रामचरितमानस और गीता जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथों का कोई भी विरोध नहीं करता है। उन्होंने कहा कि 2024 में लोकसभा के आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस तरह के अनर्गल बयान दिए जा रहे हैं। स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि मौर्य के बयान को योगी सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जानी चाहिए। शंकराचार्य के मुताबिक विदेशी ताकतों द्वारा देश की शांति भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। शंकराचार्य परिषद संतों की एक काउंसिल है।

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